Friday, November 16, 2018

सिकलीगर समाज का इतिहास



वाहेगुरु जी का खालसा 
वाहेगुरु जी की फतेह 
दोस्तों.....
सिकलीगर समाज का इतिहास काफी गौरवशाली देश को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान सिकलीगर समाज का रहा है...... सिकलीगर समाज का इतिहास राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में हिंदू लोहार के रूप में वह निवास करते थे ! महाराणा प्रताप के समय में राजपूत होने के कारण हथियारों बनाने का उनका काम था और उन्हीं हथियारों के दम पर महाराणा प्रताप की सेना दूसरे योद्धाओं से लड़ाई करती थी जिसमें सिकलीगर समाज के लोग लगे कहे के हिंदू लोहार समाज के लोग महाराणा प्रताप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर युद्धों में भाग लेते थे और अपनी रणभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर करते थे समय का चक्र इसी प्रकार चलता रहा महाराणा प्रताप को हार झेलनी पड़ी और उन्हें जंगलों में जाकर निवास करना पड़ा घास की रोटी खा कर उनको गुजारा करना पड़ा उस समय जो वहां के हिंदू लोहार थे वह भी बिछड़ गए और अलग अलग कहीं जंगलों में जाकर छुप छुप कर अपना जो हथियार बनाने का उनका कार्य था उसको करते थे उधर समय का चक्र बढ़ते हुए जहांगीर के समय में जब समय का चक्र पहुंचा जहांगीर भारत का राजा बना , पंजाब में सिक्खों के पांचवे गुरु गुरु अर्जन देव साहिब को जहांगीर ने बड़ी यातनाएं देकर उनको शहीद कर दिया था सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहिब जी गुरु गद्दी पर बैठे मेरी और पीरी की दो तलवार धारण की एक धर्म की रक्षा के लिए और दूसरी देश की रक्षा के लिए तो जब उनका सामना जहांगीर से हुआ गुरु हरगोबिंद साहिब छठे पातशाह ने अपनी फौज बनाने स्टार्ट की तो उन्हें आवश्यकता पड़ी अच्छे हथियारों की उस समय ज्यादातर देश के हिस्से में हथियार जो बनाते थे वह मुस्लिम समाज के लोग बनाते थे और वह हिंदुओं को या सिखो को कच्चे हथियार सप्लाई कर देते थे ! जो युध्द में टूट जाते थे और हिंदू और सिख उस समय उनकी हार हो जाती थी तो गुरु हरगोबिंद साहिब ने उस समय कहा के पूरे भारत में ढूंढ कर लाओ के जहां हिंदू लोहार जो हथियार बनाने का काम करते हैं उनको हमारे पास लेकर आओ हम उनसे हथियार बनबायेगे और फिर युद्ध में लड़ेंगे तो उस समय खोज करते हुए कुछ सिख हिंदू लोहारों के पूर्वज राम सिंह और उदय सिंह के पास राजस्थान के मेवाड़ पहुंचे उनको लेकर सिख वापस पंजाब आये उन्होंने गुरु हरगोबिंद साहिब के सानिध्य में चले गए और उन को हथियार बना बना कर दिए और उनके साथ बहुत सी युद्ध लड़ाई सिकलीगर समाज के लोगों ने साथ मिलकर के बहुत से लड़ाई उन्होंने लड़ी और युद्ध में फतेह किया समय का चक्र बढ़ता रहा और छठे पातशाह श्री हरगोबिंद साहिब के बाद जब गुरु गद्दी पर नौवें गुरु तेग बहादुर जी को शहीद कर दिया गया नौवें गुरु को दिल्ली में औरंगजेब के द्वारा इस्लाम कबूल न करने के जुर्म में शहीद किया गया गुरु गोविंद सिंह जी महाराज गुरु गद्दी पर बैठे और उन्होंने हिंदू लोहार के हथियार बनाकर उनको देते थे बहुत से युद्धों में उनके साथ युद्ध करते थे और फतेह भी करते थे तब उनको *सिकलीगर* की उपाधि उन्होंने दी *सिकलीगर नाम गुरु गोविंद सिंह जी ने दिया था* लोहारों को सिकलकर का मतलब है शक्ल एक अरबी भाषा का शब्द है शक्ल माने यानी के पॉलिश या बनाना और करवाने बनाना यानी के हथियारों पर पॉलिश रंगाई और बनाने का काम करने वाला शक्ल कर अरबी भाषा का शब्द है शक्ल कर से बदलता बदलता वह सिकलीगर शब्द बन गया है गुरु गोबिन्द सिंह जी का दिया ईनाम बहुत ही हमारे लिए गौरवपूर्ण है उसके पश्चात गुरु गोविंद सिंह के टाइम में युद्ध होते रहे और हमारे बहुत से योधा हुए हैं *सिकलीगर समाज के महान योधा भाई मनी सिंह जी* जिन्होंने अपने पूरे परिवार को मिला कर लगभग *इस देश धर्म के लिए हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार की 54 कुर्बानियां उन्होंने दी है 54* शहीदी उनके परिवार से हुई है जो विश्व के इतिहास में कोई दूसरा नही है विश्व इतिहास में आज तक 54 व्यक्ति किसी परिवार के शहीद हो ऐसा बहुत ही कम देखने को मिला है जिनमें उनके *11 पुत्र थे 8 पौत्र थे कई दमाद थे इस प्रकार से उनके परिवार के लगभग 54 कुर्बानियां हुई है इस देश और धर्म के लिए जिनमें भाई मनी सिंह जी के ही सुपुत्र भाई* बचित्तर सिंह और विचित्र सिंह जी है भाई बचित्तर सिंह जी भी काफी वीर योद्धा हुए हैं आप पंजाब में कहीं भी जाएं तो भाई बछीतर सिंह जी के नाम से अनेकों गुरुद्वारे हैं अनेकों संग्रहालय बने हुए हैं जो सिकलीगर समाज के ही एकमहान योधा हुए है जिनके बारे में प्रचलित है कि जब औरंगजेब से युद्ध हो रहा था तो केशगढ़ साहिब के किले में , जो आनंदपुर साहिब में पड़ता है एक मदमस्त हाथी को औरंगजेब के सैनिकों ने दारू पिलाकर गुरु गोबिन्द सिंह जी की सेना की ओर भेज दिया था! अब यह समस्या आई कि कौन उसे मदमस्त हाथी शराबी हाथी का सामना करेगा *तब गुरु गोविंद सिंह के लाडले भाई बचित्तर सिंह जी सामने आए* और उन्होंने एक अपना और स्पेशल हथियार उस हाथी को मारने के लिए बनाया *एक भाला नागिन के रूप* में बनाया था उन्होंने हाथी का वध किया बहुत भारी नुकसान होने से बचाया ॥ इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह के समय के बाद मुगलो शासन के बाद फिर अंग्रेजों का समय आया अंग्रेजों के समय में उन्होंने अवैध हथियार बनाने वाले यानी के जो हथियार बनाते थे *तीर , तलवार, भाले , तमंचे कटार* , उन सबको उन्होंने अवैध घोषित कर दिया और एक अलग आपराधिक जाति के कॉलम में उनको डाल दिया जो देश की रक्षा करते थे उनको उन्होंने गलत तरीके से पेश करके गलत रास्ते पर डाल दिया सिकलीगर समाज के लोग जंगलों में रहने पर मजबूर कर दिया फिर भारत देश आजाद हुआ और भारत देश आजाद होने के पश्चात सिकलीगर जाति अलग-अलग प्रदेशों में उस समय पहुंच चुकी थी जिसमें कि उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में सिकलीगर समाज के लोग रहते हैं पंजाब में बहुत संख्या में है दिल्ली में हरियाणा में महाराष्ट्र में गुरु गोविंद सिंह जी के साथ साथ गए उनके बाद वही रहने लगे ! नांदेड़ महाराष्ट्र में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अंतिम सांस ली उनके साथ भी सिकलीगर समाज के लोग थे तो बहुत सारे लोग साउथ में महाराष्ट्र , हैदराबाद तेलंगाना में वहां पर अभी भी सिकलीगर समाज के लोग बसे हुए हैं सिकलीगर समाज का इतिहास गौरवपूर्ण है जिसपर हमें गर्व है और मैं रविंद्र सिंह डांगी अपने आप पर गोरावित हूं कि मैं सिकलीगर समाज से हूँ मुझे गर्व है सिकलीगर समाज पर और एक राजपूत खून होने के पर सिकलीगर समाज के जो लोग गुरु हरगोबिंद साहिब के सानिध्य में आए थे उन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के समय में अमृत पान करके खालसा पंथ करके वह सरदार बन गए सिख बन गए और जो लोग वहां से बिछड़ कर वापस राजस्थान या दूसरे क्षेत्रों में चले गए तो वह उन्होंने हिंदू धर्म ही अपना अपनाए रखा तो सिकलीगर समाज के धर्म में भी है और सिख धर्म में भी है तो मैं सिख सिकलीगर हूं मुझे गर्व है और आपको भी सिख सिकलीगर होने पर गर्व होना चाहिए |
वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फतेह |

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